संगत में आपका स्वागत है। पत्रकारिता और साहित्य के दायरे से इतर भी संवाद एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में हम बहुत कुछ सीखते हैं। संगत इस प्रक्रिया के लिए परंपरागत संज्ञा है जहां स्वयं से,समय,समाज,निसर्ग यानी जो है उससे और जो अभी नहीं है उसके बारे में भी संवाद की गूंजाइश रहती है। कोशिश यह होगी कि अपनी राह में जो भी अनुभव आता है उनको आपसे साझा किया जाए। आपकी नि:शंक भागीदारी से संगत को सार्थकता मिलेगी। कहते सुनते चलने से हम एक दूसरे को मजबूत कर सकेंगे। आमीन...
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